Thursday 3 March 2011

गीत इक प्यार का गाओ. तो कोई बात बने
ज़रा सा दिल में समाओ. तो कोई बात बने

ये ज़िन्दगी है, इसमें तो ग़म ही ग़म हरसू
ख़ुशी की बात को लाओ, तो कोई बात बने 

हसीन रुत में जुदाई की बात क्यूं हमदम
मिलन के ख़्वाब सजाओ, तो कोई बात बने

दिलों  के साज़ पे छेड़ें नई ग़ज़ल कोई 
करीब मेरे जो आओ, तो कोई बात बने 

बहोत उदास फ़िज़ाए हैं ऐ सनम तुम बिन 
सिया का साथ निभाओ, तो कोई बात बने 


सिया 

No comments:

Post a Comment