आपकी आँखों में जितने ख़्वाब हैं
हमनफ़स हैं, वो मेरे एहबाब हैं
शौक है दुनिया बदलने का उन्हें
देखिये तो किस कदर बेताब हैं
आप तो बस इक लहर से डर गए
इस समन्दर में कई सैलाब हैं
पैरवी तुम ही मुहब्बत की करो
पास मेरे जंग के असबाब हैं
एक शायर कह रह है इन दिनों
फ़ूल दामन में "सिया" नायाब हैं
सिया
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