Wednesday 23 March 2011

ग़ज़ल

नश्तरों से निबाह मुश्किल हैं 
अब मोहब्बत की राह मुश्किल हैं

कैसे देखूं मैं ज़िंदगी तुझको 
रात काली सियाह  मुश्किल हैं

यूं तो हर शय मिली अक्सर
इक तेरी पनाह मुश्किल हैं 

यूँ  तो दुनिया ने मेरा साथ दिया
एक उसकी सलाह मुश्किल है  

अब "सिया" ज़िन्दगी के साथ चलो 
उनकी हम पर निगाह, मुश्किल है










सिया


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