ना तो हमदम ना हमनवा की तरह
वो मिला मुझको आसमान की तरह
हमने महबूब उसको माना मगर
पेश वो आया दो जहाँ की तरह
अब मोहब्बत गुनाह सी होगी
बात निकली हैं दास्ताँ की तरह
ग़म जिसे आप लोग कहते है
साथ होते है कारवां की तरह
जिसके लफ्जों से फूल खिलते हैं
वो सिया क्यूं हैं बेजुबान की तरह
सिया
वो मिला मुझको आसमान की तरह
हमने महबूब उसको माना मगर
पेश वो आया दो जहाँ की तरह
अब मोहब्बत गुनाह सी होगी
बात निकली हैं दास्ताँ की तरह
ग़म जिसे आप लोग कहते है
साथ होते है कारवां की तरह
जिसके लफ्जों से फूल खिलते हैं
वो सिया क्यूं हैं बेजुबान की तरह
सिया
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