वक़्त गुज़रा है कुछ कडवी _मीठी बाते देकर
कभी खुशियों के पल कभी ग़म की सौगाते देकर
जिंदगी भी ये कैसे से नए रंग दिखाती है यहाँ
कहीं मातम जनाज़े का, कहीं पे जशन बरातें देकर
हाय जीना यहाँ मुश्किल नहीं दुश्वार भी हैं
जीत हासिल भी हुई है तो दर्द की मातें देकर
हमने सीखा है ज़िन्दगी को भी कई सालों में
इक मदरसे में रहे कैद हम जमातें देकर
जब सिया कोई ज़माने में ना रहा अपना
दिल को बहलाया हमने सब्र की राते देकर
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