Wednesday 11 May 2011

भूली बिसरी यादें ......


भूली बिसरी यादें आई फिर से क्यूं
मैंने वो तस्वीर बनाई फिर से क्यूं 

जब रिश्ता ही टूट गया था प्यार भरा 
उसने मेरी कसमें खाई फिर से क्यूं

इन बातों ने उलझा डाला जीवन को 
प्यार में आख़िर ये रुसवाई फिर से क्यूं

अब बच्चों का पेट भी भरना मुश्किल है
तेज़ हुई है ये महंगाई फिर से क्यूं

पत्थर ख़ुद को करना चाहा यार मगर 
बजती है दिल की शहनाई फिर से क्यूं
 
सिया 

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