आज इन आँखों ने दुखते हुए मंज़र देखे
चंद चीथड़ो में लिपटे हुए पिंजर देखे
उनके चेहरे पे मुझे दर्द का सैलाब दिखा
भूख से तडपे हुए जिस्म वो जर्जर देखे
ये भी इंसान हैं जो जीते हैं ऐसी हालत में
कांप उठा ये दिल ,हालात वो बद्दतर देखे
कांपते हाथ बदन हड्डियों का ढांचा है
उसी बूढ़े के सर पे बोझ के गट्ठर देखे
कुछ तो सोचो जी पाए ये भी दुनिया में
क्यों इंसान के दिल इतने पत्थर देखे
सिया
चंद चीथड़ो में लिपटे हुए पिंजर देखे
उनके चेहरे पे मुझे दर्द का सैलाब दिखा
भूख से तडपे हुए जिस्म वो जर्जर देखे
ये भी इंसान हैं जो जीते हैं ऐसी हालत में
कांप उठा ये दिल ,हालात वो बद्दतर देखे
कांपते हाथ बदन हड्डियों का ढांचा है
उसी बूढ़े के सर पे बोझ के गट्ठर देखे
कुछ तो सोचो जी पाए ये भी दुनिया में
क्यों इंसान के दिल इतने पत्थर देखे
सिया
यही दुनिया है...यही लोग हैं...
ReplyDeleteहर किसी को कोई ना कोई दुःख है...पूर्ण रूप से सुखी कोई नहीं है