दुनिया में जो जीना हैं तो जीने का हुनर सीख
ग़म को छुपाके अश्को को पीने का हुनर सीख
जो राह तबाही की हो उस से करो तौबा
इंसानियत की राह पे चलने का हुनर सीख
खुद को मिटा के जैसे रंग दे गयी हिना
बेरंग से जीवन में रंग भरने का हुनर सीख
काँटों का साथ फिर भी महकता गुलाब है
तू मुश्किलें में उनसे जीने का हुनर सीख
खुद को जला के शम्मा मिटा जाये अँधेरा
घर में अँधेरे दीप जलाने का हुनर सीख
तुझपे खुदा की रहमते तो ना गुमान कर
तू भी किसी के काम आने का हुनर सीख
मजिल की चाह में जो रास्ता भटक गए
भटके हुए को राह पे लाने का हुनर सीख
सिया
सिया .. बहुत ही बेहतरीन गज़ल है ... हर शेर प्रभावशाली है.. आपकी इस हुनरमंदी के लिए आपको ढेर सारी मुबारकबाद....
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