इस दुनिया की रीत निराली
मुह पे मीठी दिल से काली
मतलब पर ये गले लगाये
पीठ के पीछे देती गाली
कुछ अर्सें में सबको भुला दे
आये कितने प्रतिभा शाली
अपनी अपनी राग सुनाये
अपनी ढपली अपनी ताली
ना जाने कब सर पे बिठा ले
ना जाने कब गत कर डाली
जिसपे धन हो उसकी जय जय
तू क्या हैं तेरी जेब हैं खाली
वो ही देश को लूट रहे हैं
जिनको करनी हैं रखवाली
सिया
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