Sunday 1 May 2011

ज़िन्दगी अच्छी नहीं

डगमगाती ज़िन्दगी अच्छी नहीं 
इस क़दर ये बेखुदी अच्छी नहीं

आपकी ग़ज़लें सभी बेहतर मगर 
ज़िन्दगी की शाइरी अच्छी नहीं

क्या पता किसपल में क्या हो जायेगा 
हालतें अब दर्द की अच्छी नहीं

दिल तुम्हारे नाम तो अब हो चुका 
पर तेरी आवारगी अच्छी नहीं 

इस नज़र में प्यार ही कायम रहे 
इस नज़र में बर्क* सी अच्छी नहीं 

ऐ "सिया" दुनिया में थोड़ा सख्त हो 
हर नफस ये सादगी अच्छी नहीं 

सिया 
बर्क + बिजली 


No comments:

Post a Comment