अब ना शिकवा .ना गिला .ना कोई अब मलाल रहा
जुल्म तेरे भी बेहिसाब रहे ,सब्र मेरा भी कुछ कमाल रहा
मुझको हसना भी रोना भी ,मरना , और जीना भी यहीं
तुझको रुसवा भला मैं कैसे करू ,मुझे तो आपका ख्याल रहा
मेरी बर्बादी का बाइस, तेरा ही अक्स छुपा है दिल में
तुझे मुझसे शिकायते ही रही, हर घडी इक नया सवाल रहा
तुझे मुझसे शिकायते ही रही, हर घडी इक नया सवाल रहा
होगा हासिल भी क्या इस हाल पे, इलज़ाम जो देते तुझको
किसी ने पूछा ना ग़म जाना , क्यों ये मेरा हाल रहा
सि
या
या
"होगा हासिल भी क्या दें, तोहमत -ए - वीराने _ दिल की तुझे
ReplyDeleteज़ब्त कर लेते हैं दर्द ,कोई पूछेगा कब क्यों ये तेरा हाल रहा"
बहुत बढ़िया