सितारे धुंधले नज़र आए चाँद रूठा सा
था ख्वाब सच्चा मगर लग रहा है झूठा सा
गुजारिशों को शिकायत का नाम मत देना
मेरे लबों पे है हर लफ्ज़ आज टूटा सा
या तू नसीब जगा आ के खुद ही अब मेरा
या मान लूँ की मुक़द्दर है मेरा फूटा सा
खामोश रात है ग़मगीन हैं नज़ारे भी
वो दौर खुशियों का अब हाथ से है छुटा सा
कोई तो होगी यकीनन उसे भी मजबूरी
वगर ना वादा था उसका सिया अनूठा सा
था ख्वाब सच्चा मगर लग रहा है झूठा सा
गुजारिशों को शिकायत का नाम मत देना
मेरे लबों पे है हर लफ्ज़ आज टूटा सा
या तू नसीब जगा आ के खुद ही अब मेरा
या मान लूँ की मुक़द्दर है मेरा फूटा सा
खामोश रात है ग़मगीन हैं नज़ारे भी
वो दौर खुशियों का अब हाथ से है छुटा सा
कोई तो होगी यकीनन उसे भी मजबूरी
वगर ना वादा था उसका सिया अनूठा सा
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