क्या मिला कैसे मिला , चलता रहा
ज़िन्दगी का सिलसिला चलता रहा
हम तो थक कर रुक गए कुछ गाम पर
हाँ ! मगर वो काफिला चलता रहा
चाहकर भी हम न तेरे हो सके
दरमियां इक फासिला चलता रहा
हमसफ़र इक राह के हम-तुम हैं क्यूं
मन ही मन शिकवा -गिला चलता रहा
जब वो मुरझाया फ़ना वो हो गया
फ़ूल जब तक था खिला चलता रहा
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