Thursday 25 August 2011

ये कैसा प्यार है तेरा समझ में कुछ नहीं आये

सितम इतने किए तूने कि मेरा दम निकल जाये
ये कैसा प्यार है तेरा समझ में कुछ नहीं आये

ज़ुबान पर आपने ताले लगाये इसक़दर मेरी
जरा से गुफ्तगू को भी हमारा दिल तरस जाये

सनम तुझको मेरी परवाह आख़िर क्यूं नहीं होती
तुम्हारे हर कदम पर हैं मेरी चाहत के जब साये

बस एक चेहरा तुम्हारा बसा है मेरी आँखों में
बिछड़ के आपसे हमको नज़र कुछ भी नहीं आए

वो जब भी याद आये, सिया का दिल धड़क जाये
तुम्हारे साथ ये लम्हे बता दे क्यों नहीं पाए

No comments:

Post a Comment