Thursday 1 September 2011

दिल दी गल्ला लोका नू सुनावा क्यों..


हाल दुनिया नू अपना मैं वखावा क्यो
दिल  दी गल्लां लोका नू सुणावा क्यों 

मेरा वजूद, मेरा गुमान, मेरी गैरत 
किसी दी नज़र विच खुद नू गिरावां क्यों 

मैं आप वेखदी या की कमी मेरे अन्दर 
मैं किसी होर ते इलज़ाम लगावां क्यों 

कोई यकीन करके, राज़ दे दसदा अपना 
छुपा लया दिल विच किसी नू बतावा क्यों 

बड़े नसीब नाल मिलदे ने सच्चे यार लोगों 
जे मिला दित्ता रब ने ओसनू भुलावा  क्यों 

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