काम कुछ ऐसा न कर जाऊं यह डर लगता है
दिल से तेरे न उतर जाऊं यह डर लगता है
फासले मुझको हैं मंज़ूर मगर ऐ हमदम
जीते जी खुद ही न मर जाऊं ये डर लगता हैं
दिल से तेरे न उतर जाऊं यह डर लगता है
फासले मुझको हैं मंज़ूर मगर ऐ हमदम
जीते जी खुद ही न मर जाऊं ये डर लगता हैं
बड़ी मुश्किल से संभाला है दिल_ए _नादाँ को
अब कहीं फिर न बिखर जाऊ यह डर लगता है
सकूं नसीब है जब तक तुम्हारे साथ हूँ मैं
बिछड़ के तुझसे किधर जाऊ यह डर लगता है
ए सिया दीद का वादा जो किया हैं मैंने
देख के उसको न मर जाऊ ये डर लगता है
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