Thursday 22 September 2011

प्रार्थना


हे जगत निर्माणकर्ता 
कुछ हमें भी ज्ञान दो..
सच बड़ा दुखी है    मानव 
आप आकर ध्यान दो .....

सब रहें खुशहाल भी 
और सब रहें आनंद में 
ये  कहें दोहें सभी 
ये सार भी है छंद में 
इस धरा पर जो भी आये 
आप उसको मान दो.......

न कोई छोटा, बड़ा हो 
इस तेरे संसार में 
हर कोई जीवन गुज़ारे 
बस इबादत प्यार में 
आदमी को आदमी सा 
आप ही सम्मान दो .......

हो कई रूपों में लेकिन
तुम नज़र आते नहीं 
हो अखिल संसार में 
बस मेरे घर आते नहीं 
मुझपे भी कल्याण की 
चादर ज़रा सी तान दो ....

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है आपने ..
    मेरे ब्लॉग में भी आयें और फोलोवर बनकर उत्साह बढ़ाएं |

    मेरी कविता
    काव्य का संसार

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