जिनके घर हैं वो तो घर जायेगे
हम तो बेघर हैं किधर जायेगे
ये खुला आसमाँ हैं छत मेरी
इस ज़मीन पर ही पसर जायेगे
हम तो भटके हुए से राही है
क्या खबर है की किधर जायेगे
आपके ऐब भी छुप जायेगे
सारे इलज़ाम मेरे सर जायेगे
नाम लेवा हमारा कौन यहाँ
हम तो बेनाम ही मर जायेगे
न कोई हमनवां न यार अपना
हम तो तनहा है जिधर जायेगे
ए 'सिया' मत कुरेद कर पूछो
फिर दबे ज़ख्म उभर जायेगे
हम तो बेघर हैं किधर जायेगे
ये खुला आसमाँ हैं छत मेरी
इस ज़मीन पर ही पसर जायेगे
हम तो भटके हुए से राही है
क्या खबर है की किधर जायेगे
आपके ऐब भी छुप जायेगे
सारे इलज़ाम मेरे सर जायेगे
नाम लेवा हमारा कौन यहाँ
हम तो बेनाम ही मर जायेगे
न कोई हमनवां न यार अपना
हम तो तनहा है जिधर जायेगे
ए 'सिया' मत कुरेद कर पूछो
फिर दबे ज़ख्म उभर जायेगे
very nice siya ji....
ReplyDeleteजिनके घर हैं वो तो घर जायेगे
हम तो बेघर हैं किधर जायेगे
too good.