Thursday 20 October 2011

हर बुराई से हमें उबार तू


ऐ ख़ुदा बस इक मेरा गमख्वार तू
इन ग़मों से रफ़्ता रफ़्ता तार तू 

इक तेरे दीदार की हसरत मुझे 
तू मेरी हर सांस में , संसार तू 

इक हसीं दुनिया बनाई आपने 
बन्दे क्यों करता रहा बेकार तू 

ये ख़ुशी सच्ची तुझे मिल जाएगी 
किसलिए मन हो रहा बेज़ार तू 

लोग नफ़रत की तिजारत में मगन 
इनके दिल में दे दया और प्यार तू

राह नेकी और भलाई की दिखा 
हर बुराई से हमें उबार तू 

ए खुदा तुमसे ये मेरी इल्तेज़ा 
भटकी कश्ती हूँ लगा दे पार तू

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