Thursday 10 November 2011

खुदा के लिए अब ना मुझको सताए


खबर तेरी लायी है महकी हवाए 
ये शादाब मंज़र ये बहकी फिजाए 

ना रह पाए दिल पे मेरा कुछ भी काबू  
बना दे दीवाना ये काफिर अदाए

चले आओ कितना हसी है ये मौसम 
ये रिम झिम सी बरसे है काली घटाए 

तुम्ही मेरी हसरत हो जाने तमन्ना 
खुदा के लिए अब ना मुझको सताए 

मैं देखू की बदली में कैसा हैं चंदा 
जरा रुख से अपने ये जुल्फे हटाये 

हो उसके लबो पे 'सिया 'मेरी बाते 
मैं कह दू ग़ज़ल और वो गुनगुनाये 

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