किताबे जीस्त में ज़हमत के बाब इतने हैं
ज़रा सी उम्र मिली है अज़ाब इतने हैं .
जफा फरेब तड़प दर्द ग़म कसक आंसू ..
हमारे सामने भी इन्तखाब इतने हैं
समन्दरों को भी पल में बहाके ले जाए
हमारी आँख में आंसू जनाब इतने हैं
नकाबपोशों की बस्ती में शख्सियात कहाँ
हरेक शख्स ने पहने नकाब इतने हैं
हमारे शेर को दिल की नज़र की हाजत है ...
हरेक लफ्ज़ में हुस्नो-शबाब इतने हैं
हमें तलाश है ताबीर की मगर हमदम
छिपा लिया है सभी कुछ ये ख्वाब इतने हैं
कभी ज़ुबान खुली तो बताएँगे हम भी
तिरे सवाल के यूं तो जवाब इतने हैं
.तमाम कांटे भरे हैं हमारे दामन में
तुम्हारे वास्ते लाये गुलाब इतने हैं
मैं चाह कर भी नहीं कर सकी कभी पूरे
तुम्हारी आँख में पोशीदा ख्वाब इतने हैं
कभी ज़ुबान खुली तो बताएँगे हम भी
हमें जनाब से लेने हिसाब इतने हैं
\वफ़ा के बदले वफ़ा क्यूँ 'सिया' नहीं मिलती
सवाल एक है लेकिन जवाब इतने हैं
ज़रा सी उम्र मिली है अज़ाब इतने हैं .
जफा फरेब तड़प दर्द ग़म कसक आंसू ..
हमारे सामने भी इन्तखाब इतने हैं
समन्दरों को भी पल में बहाके ले जाए
हमारी आँख में आंसू जनाब इतने हैं
नकाबपोशों की बस्ती में शख्सियात कहाँ
हरेक शख्स ने पहने नकाब इतने हैं
हमारे शेर को दिल की नज़र की हाजत है ...
हरेक लफ्ज़ में हुस्नो-शबाब इतने हैं
हमें तलाश है ताबीर की मगर हमदम
छिपा लिया है सभी कुछ ये ख्वाब इतने हैं
कभी ज़ुबान खुली तो बताएँगे हम भी
तिरे सवाल के यूं तो जवाब इतने हैं
.तमाम कांटे भरे हैं हमारे दामन में
तुम्हारे वास्ते लाये गुलाब इतने हैं
मैं चाह कर भी नहीं कर सकी कभी पूरे
तुम्हारी आँख में पोशीदा ख्वाब इतने हैं
कभी ज़ुबान खुली तो बताएँगे हम भी
हमें जनाब से लेने हिसाब इतने हैं
\वफ़ा के बदले वफ़ा क्यूँ 'सिया' नहीं मिलती
सवाल एक है लेकिन जवाब इतने हैं