ज़िन्दगी के खतरों से जो नज़र चुराते हैं
रास्तों में उनके ही पैर डगमगाते हैं .
सारे रह नवर्दों की मंज़िलों पे नज़रें हैं
अज्म के मुसाफिर को रास्ते बुलाते हैं .
एक बाहमी रिश्ता इसलिए ही कायम है
वो भी मान जाते हैं हम भी मान जाते हैं
अम्न के उसूलों पर हम यक़ीन रखते हैं
नफरतों की आतिश को प्रेम से बुझाते हैं
हम तो ऐसे जीने को जिंदगी नहीं कहते
सिया बस ज़माने में रात दिन बिताते हैं
हम तो ऐसे जीने को जिंदगी नहीं कहते
सिया बस ज़माने में रात दिन बिताते हैं
रास्तों में उनके ही पैर डगमगाते हैं .
सारे रह नवर्दों की मंज़िलों पे नज़रें हैं
अज्म के मुसाफिर को रास्ते बुलाते हैं .
एक बाहमी रिश्ता इसलिए ही कायम है
वो भी मान जाते हैं हम भी मान जाते हैं
अम्न के उसूलों पर हम यक़ीन रखते हैं
नफरतों की आतिश को प्रेम से बुझाते हैं
हम तो ऐसे जीने को जिंदगी नहीं कहते
सिया बस ज़माने में रात दिन बिताते हैं
हम तो ऐसे जीने को जिंदगी नहीं कहते
सिया बस ज़माने में रात दिन बिताते हैं
बेहतरीन सिया जी...
ReplyDeleteसादर