हर शख्स के दामन यूं कभी चाक नहीं थे
हालात कभी इतने खतरनाक नहीं थे
ये आजकल के बच्चे हैं इनकी न पूछिए
पहले के जो बच्चे थे वो चालाक नहीं थे
कुछ तल्खियों ने बदला हमारे मिज़ाज को
पहले कभी हम इतने तो बेबाक नहीं थे
जिनपे लगे इलज़ाम फ़सादात के लिए
मासूम थे वो शख्स खतरनाक नहीं थे
इंसानियत का जिसको सलीका नहीं आया
गंगा में नहाकर भी कभी पाक नहीं थे
माना की तेरे सामने हस्ती मेरी नहीं
राहों की तेरे हम भी मगर ख़ाक नहीं थे
माना की ज़माने को "सिया' ग़म नहीं मेरा
मरने पे मेरे तुम भी तो ग़मनाक नहीं थे .
हालात कभी इतने खतरनाक नहीं थे
ये आजकल के बच्चे हैं इनकी न पूछिए
पहले के जो बच्चे थे वो चालाक नहीं थे
कुछ तल्खियों ने बदला हमारे मिज़ाज को
पहले कभी हम इतने तो बेबाक नहीं थे
जिनपे लगे इलज़ाम फ़सादात के लिए
मासूम थे वो शख्स खतरनाक नहीं थे
इंसानियत का जिसको सलीका नहीं आया
गंगा में नहाकर भी कभी पाक नहीं थे
माना की तेरे सामने हस्ती मेरी नहीं
राहों की तेरे हम भी मगर ख़ाक नहीं थे
माना की ज़माने को "सिया' ग़म नहीं मेरा
मरने पे मेरे तुम भी तो ग़मनाक नहीं थे .
No comments:
Post a Comment