Saturday 25 February 2012

मुश्किल में ही हर बन्दा उसे याद करे है।


मालिक भी उसी शख्स को खुद याद करे है 
जो उसकी इबादत करे फ़रियाद करे है 

दिल यादे ख़ुदा से कहाँ आबाद करे है
मुश्किल में ही हर बन्दा उसे याद करे है।

अल्लाह से ज़न्नत में लिखा लेगा घर अपना 
वो शख्स ग़रीबो की जो इमदाद करे है  

औलाद पे रहमत ही बरसती है हमेशा
माँ बाप की ख़िदमत अगर औलाद करे है। 

बरसों जो किया मश्के -सुखन आपने हरदम 
मज़बूत यहीं आपकी बुनियाद करे है 

खुश रहने का मिल जाये हुनर जिसको जहाँ में 
बस्ती वो खराबे में भी आबाद करे है 

मिट जाए ज़माने से ये सब ज़ुल्म ये नफ़रत
दिल मेरा हर इक पल यही फ़रयाद करे है।

जो भूल गया मुझ को उसे इतना बता दो
इक अहले वफ़ा अब भी तुझे याद करे है। 

इक शहर है वीरान सा कब से मेरे अंदर
अब देखो इसे कौन कब आबाद करे है। 

यह कैसा ज़माना है के यहाँ इल्म की इज़्ज़त
शागिर्द करे है न अब उस्ताद करे है।

क्या क्या न किया मैंने 'सिया'उसके लिए पर 
हर रोज़ नया वो सितम ईजाद करे है 

No comments:

Post a Comment