कोई हो न हो पर तेरी याद होगी
चलो दिल की दुनिया तो आबाद होगी
सितम मुझ पे तुम और भी कर के देखो
न लब पे गिला और न फ़रियाद होगी
मेरे घर में फिर भी अँधेरा रहेगा
जहां में सहर रात के बाद होगी
वहां बस मोहब्बत के गुल ही खिलेंगे
वो बस्ती जो नफ़रत से आज़ाद होगी
इसी आसरे पर सहे ज़ुल्म हम ने
सितम की भी कोई तो मीयाद होगी
सिया इंतज़ार अब तो है उस घड़ी का
के जब जिस्म से रूह आज़ाद होगी ....
चलो दिल की दुनिया तो आबाद होगी
सितम मुझ पे तुम और भी कर के देखो
न लब पे गिला और न फ़रियाद होगी
मेरे घर में फिर भी अँधेरा रहेगा
जहां में सहर रात के बाद होगी
वहां बस मोहब्बत के गुल ही खिलेंगे
वो बस्ती जो नफ़रत से आज़ाद होगी
इसी आसरे पर सहे ज़ुल्म हम ने
सितम की भी कोई तो मीयाद होगी
सिया इंतज़ार अब तो है उस घड़ी का
के जब जिस्म से रूह आज़ाद होगी ....
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