वक़्त रफ़्तार से अपनी चलता रहा
और संसार पल पल बदलता रहा
थोड़े ग़म थोड़ी खुशिया सभी को मिली
चोट खा खा के इंसा संभलता रहा
तुझसे मिलने की चाहत में ए ज़िन्दगी
चाँद आँगन में शब् भर टहलता रहा
उसने भी गरम लहजे में गुफ़्तार की
खून मेरा भी दिन भर उबलता रहा
पा_ये _तकमील तक तो न पंहुचा कभी
ख्वाब तो मेरी आँखों में पलता रहा ...
siya
और संसार पल पल बदलता रहा
थोड़े ग़म थोड़ी खुशिया सभी को मिली
चोट खा खा के इंसा संभलता रहा
तुझसे मिलने की चाहत में ए ज़िन्दगी
चाँद आँगन में शब् भर टहलता रहा
उसने भी गरम लहजे में गुफ़्तार की
खून मेरा भी दिन भर उबलता रहा
पा_ये _तकमील तक तो न पंहुचा कभी
ख्वाब तो मेरी आँखों में पलता रहा ...
siya
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