रब तू मेरे पास बहुत है
तुझपे ही विश्वास बहुत है
सर्वत का हो भला जगत में
बस इतनी अरदास बहुत है
मन में प्रेम भले ही न हो
कहने को वो खास बहुत है
खुशियाँ भूल गयी दर मेरा
इस दुःख का आभास बहुत है
इस दुःख का आभास बहुत है
दुष्कर्मी सड़को पर घूमें
मन में ये संत्रास बहुत है
अब आज़ाद हुई है नारी ?
झूठ है ये बकवास बहुत है
भूख, गरीबी, मज़बूरी हैं
इस घर में उपवास बहुत है
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