Friday 29 August 2014

प्यार से कटते जो दिन रात बहुत अच्छा था

थाम कर चलते मेरा हाथ बहुत अच्छा था 
प्यार से कटते जो दिन रात बहुत अच्छा था

तुमसे कह देते हर इक बात बहुत अच्छा था 
ग़र बदलते न ये हालात बहुत अच्छा था|

काश अश्को को न आँखों में छुपाया होता 
चीख उठते जो ये जज़बात बहुत अच्छा था 

उम्र सारी ही कटी अपनी तो तन्हाई में 
आप देते जो मेरा साथ बहुत अच्छा था

कम से कम खुद से बिछड़ने का गिला न रहता
हम जो सह लेते ये सदमात बहुत अच्छा था

ठहरे पानी सी वो खामोश मोहब्बत उसकी . ....
होती चाहत की जो बरसात बहुत अच्छा था

रूह आजाद हुई जिस्म से एक रोज़ सिया
उसने जितना भी दिया साथ बहुत अच्छा था.

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