Monday 27 October 2014

मेरा दिल था एक खिलौना

जीवन क्या ?काँटों का बिछौना
कितना मुश्किल इस पर सोना

जब जी चाहा तुमने खेला
मेरा दिल था एक खिलौना

जाओगे या साथ रहोगे !
अपना मूंह भी तो खोलो ना !

ज़ालिम प्यार का यहीं नतीजा
दुःख पाना और जीवन खोना

सदमें आँसू हिचकी आहें
हिज्र की शब में और क्या होना

यूहीं रस्ता कट जाएगा
तुम भी मेरे साथ चलो ना !

मुझसे सिया सहेली बोली
दिल में ये ख़्वाहिश न बोना

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