Wednesday 22 April 2015

दिल मेरा क्यूँ दर्द में डूबा होता है

शाम का मंज़र जब बोझिल सा होता है 
  दिल मेरा क्यूँ दर्द में डूबा होता है 
 
दुनिया दारी की इन झूठी रस्मो से 
अक्सर इंसानो को धोखा होता है

मर्ज़ी के आज़ाद जवाँ बच्चो सुन लो 
बूढी आँखों में भी सपना होता है 

जो  रिश्ते  एहसास से ख़ाली होते हैं 
उन रिश्तों को भी तो ढोना  होता है

दूर तीरगी  करता है जो बस्ती की 
उस  दीपक के तले  अँधेरा होता है 

नज़रे बद  से ख़ुदा बचाये बच्चों  को 
रोज़ यहाँ पर एक हादसा होता है

याद किया जाता हैं उनको सदियों तक 
जिनका नाम अदब में  लिक्खा होता है 

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