Wednesday 17 June 2015

दिया जलता रहेगा ये सहर तक

तू आये या न आये मेरे घर तक
दिया जलता रहेगा ये सहर तक
कहाँ पर खो गयी है आते आते
ख़ुशी पहुंची नहीं क्यों मेरे घर तक
अभी कुछ ज़ब्त की ताकत है बाक़ी
अभी पानी नहीं पहुँचा है सर तक
मुलाकातों की फिर क्या बात करते
कोई मिलती नहीं उनकी खबर तक
किसी पर जीते जी जो मर न पाये
उन्हें आया न जीने का हुनर तक
शिकारी का निशाना बन गया क्या
नहीं पहुंचा परिंदा वो शजर तक
जो साहिल पर शिकस्ता हो गयी है
वो कश्ती कैसे पहुँचेगी भँवर तक
बहुत मुश्किल हैं राहें ज़िंदगी की
कई बिछड़े हैं साथी इस सफर तक
बुलंदी ये सिया किस काम की फिर
अगर पहुंचे नहीं उनकी नज़र तक

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