धूप में भी महफ़ूज़ हो शबनम
कब आएगा ऐसा मौसम
कब आएगा ऐसा मौसम
मेरे दिल के इक कोने में
तन्हाई रहती है हर दम
तन्हाई रहती है हर दम
जिसको फ़िक्र नहीं कुछ मेरी
उसकी परवा करते है हम
गहरा ज़ख्म भी भर जाता है
वक़्त बड़ा है सबसे मरहम
वक़्त बड़ा है सबसे मरहम
देखा जो खुशहाल किसी को
दुनिया हो जाती है बरहम
दुनिया हो जाती है बरहम
अब तो सूख चुकी हैं आँखे
और करे हम कितना मातम
और करे हम कितना मातम
ढेर सी ज़िम्मेदारी सर पर
काम ज़ियादा वक़्त बहुत कम
काम ज़ियादा वक़्त बहुत कम
सोच अलग है फ़िक्र अलग है
कभी न मिल पाएंगे हम तुम
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