जीवन है काँटों का बिछौना
कितना मुश्किल इस पर सोना
कितना मुश्किल इस पर सोना
उसने जब जी चाहा खेला
दिल को मेरे जान खिलौना
दिल को मेरे जान खिलौना
जाओगे या साथ रहोगे !
कुछ तो अपना मूंह खोलो ना !
कुछ तो अपना मूंह खोलो ना !
ज़ालिम प्यार का यहीं नतीजा
दुःख पाना है सुख है खोना
दुःख पाना है सुख है खोना
आँसू , आहें और तन्हाई
हिज्र की शब में और क्या होना
हिज्र की शब में और क्या होना
ख़ुद ही रस्ता कट जाएगा
तुम भी मेरे साथ चलो ना !
तुम भी मेरे साथ चलो ना !
मुझसे एक सहेली बोली
दिल में ख़्वाहिश को मत बोना
दिल में ख़्वाहिश को मत बोना
सिया ढूँढती हो क्यों कांधा
अच्छा होगा तन्हा रोना
अच्छा होगा तन्हा रोना
siya
सौंदर्य पूर्ण काव्य है आपका,
ReplyDeleteआपके शब्द आकाश के ध्रुव तारे जैसे हैं
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ReplyDeleteकिन राहों में आकर हम भटक गए है
ReplyDeleteउसकी आवाज सुनने को भी तरस गए है
मेरा आंगन अब तक है सुखा
लोग कहते है बादल बरस गए है
जाने कोंन सी पागल थी बो घडी
मेरे सामने ही जब बो थी खड़ी
उसको मालूम भी तो हुआ ही नहीं
दिल कितने दीवाने धड़क गए है
बही करते है उसका इंतजार
जहा देखा था उसे पहली बार
अब तो मालूम हमको रहा ही नहीं
http://somewordsfrommyheart.blogspot.in/2010_09_20_archive.html