खबर कुछ भी नहीं मिलती तुम्हारी
फ़ना तुम हो गए हो किस जहाँ में
गए हो कौन से लम्बे सफर पर
कहाँ हो ? कैसे हो? कुछ तो बताओ
तुम्हारी राह तकते थक गयी हूँ
तुम्हे अब ढूँढने निकली हूँ हमदम
सफ़र की धूल से चेहरा अटा है
थकन से हो गयी पलकें भी बोझल
तुम्हे आवाज़ देते जा रही हूँ
मेरी आवाज़ रुँधती जा रही है
अचानक आँख मेरी खुल गयी है
उठी हूँ नींद से मैं हड़बड़ा कर
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