याद रह जायेगी बस फ़िक्र की फन की खुशबू
छोड़ जाएंगे यहाँ हम तो सुखन की खुशबू
थरथाते हुए लफ़्ज़ों से मेरे ज़ाहिर है
मेरे लहजे में उतर आई थकन की खुशबू
कुछ शहीदों ने बहाया है लहू सरहद पर
हर तरफ फैल गयी मेरे वतन की खुशबू
उसका पैकर है की इक इत्र का मजमुआ है
जैसे इक गुल में सिमट आये चमन की खुशबू
खासियत है ये मेरे मुल्क की दुनिया वालो
मिलके रहती है यहाँ गंग ओ जमन की खुशबू
तेरे आमाल बता देंगे हकीकत तेरी
छुप नहीं सकती सिया चाल चलन की खुशबू
No comments:
Post a Comment