भला कब तक अदाकारी करे हम
तेरी झूठी तरफदारी करे हम
कहाँ तक झूठ से बहलाये ख़ुद को
कहाँ तक खुद से ग़द्दारी करे हम
हमें तहज़ीब विरसे में मिली है
तो कैसे बात बाज़ारी करे हम
उठाये कब तलक़ नखरे जहाँ के
कहाँ तक नाज़ बर्दारी करे हम
उठो काँटों के बदले फूल बाँटे
चलो ये सिलसिला जारी करे हम
सफर पे जाने कब जाना पड़ेगा
चलो थोड़ी सी तैयारी करे हम
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