Sunday 7 May 2017

जिसे याद रखना था उम्र भर उसे एक पल में भुला दिया।

मुझे इस जहान से क्या मिला, मुझे इस जहान ने क्या दिया। जिसे याद रखना था उम्र भर उसे एक पल में भुला दिया।

ये अँधेरे मेरा नसीब थे, ये अँधेरे मेरे क़रीब थे, मुझे रास आ गयी तीरगी, तो चराग़ किसने जला दिया।

मैं हक़ीक़तो से थी बेख़बर, बड़ी मुतमइन थी मेरी नज़र
अभी महवे ख़्वाब थी नींद में ,मुझे आके किसने जगा दिया

मैं तो अपनी क़ैद में थी मगन, मुझे अपने दर्द से थी लगन
मुझे अब रिहाई का फ़ैसला, यहाँ आके किसने सुना दिया

जो मुसाफिरों को बताता था सभी रास्तों की हक़ीक़तें
उसे संगे राह समझ लिया, उसे रास्ते से हटा दिया।

तेरी याद ही मेरे साथ थी तुझे क्या मिला इसे छीन कर
ज़रा मुस्कुराये थे लब मिरे मुझे तूने फिर से रुला दिया।

मेरे हमसफ़र तुझे क्या खबर, मैं भटक रही हूँ इधर उधर
जिसे लोग कहते हैं ज़िंदगी मुझे उस  सफर ने थका दिया

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