Tuesday 26 September 2017

नज़्म -कौन हूँ मैं

नज़्म -कौन हूँ मैं

उफ़क़ के सूरज की लालिमा ने
मुझे बताया की कौन हूँ मैं
मुझे ख़बर ही नहीं थी अब तक
मैं अपने होने से बेखबर थी
ख़बर में रखता था वो जो मुझको
वो मेरा मोहसिन चला गया है
उफ़ुक़ से आगे की सैर करने
मैं आज तनहा खड़ी हुई हूँ
ये सोचती हूँ पलट के आये
वो जैसे कोई हवा का झोंका
मेरे बदन को असीर करके
मुझे बताएँ की आ गया हूँ
मैं मुंतज़िर हूँ न जाने कब से
उसी के आने की कोई आहट
कभी तो मुझको सुनाई देगी
कभी तो मंज़िल दिखाई देगी

सिया सचदेव

No comments:

Post a Comment